महिलाओं के अधिकारों की दिशा में बड़ा कदम, सुप्रीम कोर्ट ने समान उत्तराधिकार को लेकर सुनाया ऐतिहासिक निर्णय, देश की सर्वोच्च अदालत ने बेटियों के हक में एक ऐसा फैसला सुनाया है जो न केवल कानूनी दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी मील का पत्थर साबित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि बेटियों को भी अपने पिता की संपत्ति खासकर खेत-जमीन में समान अधिकार मिलेगा, चाहे उनका जन्म किसी भी समय हुआ हो।
क्या कहा गया कोर्ट के फैसले में
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि पिता की मृत्यु 2005 के बाद हुई है, तो बेटियों को भी पुत्रों के बराबर खेत, मकान और अन्य पैतृक संपत्ति में पूर्ण हिस्सा मिलेगा। यह फैसला उन हजारों मामलों को प्रभावित करेगा जो देशभर की अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े हैं। अदालत ने यह भी जोड़ा कि बेटियों को यह अधिकार केवल नाममात्र नहीं, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी लागू होगा।
ग्रामीण परिवारों के लिए बड़ा असर
यह फैसला विशेष रूप से ग्रामीण भारत की महिलाओं के लिए बेहद असरदार साबित होगा, जहां आज भी बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया जाता या उन्हें स्वेच्छा से अपना अधिकार छोड़ने को मजबूर किया जाता है। अब कोर्ट के आदेश के बाद कोई भी परिवार या रिश्तेदार उन्हें उनकी हिस्सेदारी से वंचित नहीं कर सकेगा।
पुराने मामलों पर भी होगा असर
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी बेटी को जानबूझकर संपत्ति के अधिकार से वंचित किया गया, तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकती है और अदालत उसके पक्ष में फैसला दे सकती है। कई राज्य सरकारों को अब अपने रिकॉर्ड और रजिस्ट्रेशन प्रणाली को इस फैसले के अनुरूप अपडेट करना होगा।
क्या करना होगा बेटियों को
यदि किसी महिला को लगता है कि उसे अपने पिता या दादा की संपत्ति में कानूनी हक से वंचित किया गया है, तो वह जिला न्यायालय में वाद दाखिल कर सकती है, साथ ही संबंधित राजस्व विभाग से भूमि रिकॉर्ड की प्रति लेकर अपनी दावेदारी भी पेश कर सकती है। सरकार द्वारा शुरू की जा रही हेल्पलाइन और पोर्टल्स के ज़रिए भी बेटियों को न्यायिक सहायता मिलेगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बेटियों के लिए सिर्फ एक कानूनी जीत नहीं, बल्कि सामाजिक बराबरी की ओर एक बड़ा कदम है। अब बेटियों को खेत, मकान या किसी भी पैतृक संपत्ति में लड़कों के बराबर हक मिलेगा, और यह फैसला उन सभी परिवारों को चेतावनी है जो अब तक बेटियों के अधिकार को अनदेखा करते आए हैं।
डिस्क्लेमर
यह लेख सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और कानूनी प्रावधानों पर आधारित है। उत्तराधिकार से संबंधित दावे से पहले संबंधित अधिवक्ता या कानूनी सलाहकार से मार्गदर्शन अवश्य लें।
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