किराएदारी विवादों पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सीधे घर खाली करवाएगा | High Court Judgment 2025

किराएदारी विवादों पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, देशभर में बढ़ते किराएदारी विवादों के बीच हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो अब मकान मालिकों के लिए बड़ी राहत बन सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यदि किराएदार तय अवधि के बाद भी मकान खाली नहीं करता या मनमानी करता है, तो मकान मालिक सीधे कोर्ट में वाद दायर कर तत्काल बेदखली आदेश ले सकता है।

किस मामले में आया यह फैसला

यह निर्णय एक ऐसे केस में आया जहां एक किराएदार ने 11 महीने की रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी घर खाली नहीं किया और मालिक की कई नोटिसों के बावजूद कब्जा बनाए रखा। हाईकोर्ट ने इसे “दुरुपयोग की प्रवृत्ति” करार देते हुए साफ किया कि एग्रीमेंट खत्म होते ही किराएदार का अधिकार समाप्त हो जाता है

कोर्ट ने क्या कहा अपने फैसले में

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि:

  • रेंट एग्रीमेंट की अवधि पूरी होने पर यदि किराएदार घर खाली नहीं करता, तो यह अनधिकृत कब्जा माना जाएगा
  • ऐसे मामलों में मकान मालिक को लंबी कानूनी प्रक्रिया झेलने की आवश्यकता नहीं
  • कोर्ट सीधे इजेक्शन ऑर्डर दे सकता है, जिससे मकान जल्द खाली कराया जा सके

क्या है मकान मालिक का कानूनी हक

भारत के “Rent Control Act” के तहत:

  • मकान मालिक को वैध रेंट एग्रीमेंट और पहचान पत्र की कॉपी हमेशा रखनी चाहिए
  • किराएदार को समय-समय पर नोटिस देना ज़रूरी है
  • यदि किराएदार मनमानी करता है, तो मालिक सिविल कोर्ट में रेंट रिकवरी और बेदखली का केस कर सकता है
  • हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह प्रक्रिया अब और तेज़ हो सकती है

किराएदारों के लिए चेतावनी

हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि किराए पर रह रहे लोग अनुबंध की शर्तों का पालन करें। अगर एग्रीमेंट खत्म हो चुका है या मकान मालिक लिखित रूप से घर खाली करने को कह रहा है, तो अनदेखी करने पर कानूनी कार्रवाई और जबरन बेदखली का सामना करना पड़ सकता है।

कब लागू होगा यह आदेश

यह आदेश फिलहाल उस राज्य की न्यायिक सीमा में लागू है, जहां यह फैसला सुनाया गया है, लेकिन इसका प्रभाव देशभर की न्यायपालिका पर भी पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के आधार पर मिसाल बन सकती है, जिससे अन्य राज्यों के मकान मालिकों को भी लाभ मिलेगा।

निष्कर्ष

हाईकोर्ट का यह फैसला उन मकान मालिकों के लिए राहत की खबर है, जो सालों से किराएदारों की मनमानी और कानूनी पेचीदगियों से परेशान थे। अब वैध दस्तावेज़ और कानूनी प्रक्रिया के तहत मकान को कब्जे से जल्दी छुड़ाया जा सकेगा। किराएदारों को भी अब हर कदम सावधानी से उठाना होगा।

डिस्क्लेमर

यह लेख हाईकोर्ट के हालिया निर्णय और कानूनी स्रोतों पर आधारित है। किसी कानूनी कार्रवाई से पहले किसी योग्य वकील से सलाह अवश्य लें।

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